Rezang La (Hindi Edition)
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Written by:
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Manish Kumar
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Hind Yugm
About this listen
सन् 1962 की हार ने पूरे भारत को हताशा की गर्त में डाल दिया था। लोग इतने हताश थे कि उन्होंने इस युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों के परिवार वालों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। उनका सामूहिक बहिष्कार किया जाने लगा था। लोगों के इस आक्रोश का सबसे ज़्यादा शिकार रेवाड़ी और आस-पास के गाँवों के वो परिवार थे जिनके घर से कोई सेना में था। ख़ासतौर से अहीर जाति के लोग। लोगों का मानना था कि इस जाति के लोगो ने युद्ध के दौरान देश के साथ गद्दारी की और अपनी जान बचाकर बिना लड़े ही भाग आए और अब कहीं छुपकर अपना जीवन जी रहे हैं।
ये विरोध इतना बढ़ा कि एक एनजीओ को आगे आना पड़ा ये समझाने के लिए कि सेना के बारे में ऐसी बातें करने से देश के बाहर हमारी सेना की छवि ख़राब होगी और दूसरे सैनिकों का मनोबल टूटेगा। ख़ैर, ये बातें निराधार नहीं थीं। सेना भी यही मानती थी कि 13 कुमायूँ रेजिमेंट की चार्ली कंपनी ने अपनी रेजिमेट का नाम डूबो दिया और मोर्चा छोड़कर भाग गई।
एक दिन अचानक रेजांग ला के आस-पास के एक गड़ेरिये ने जब ये ख़बर सेना को दी कि पहाड़ी के उस पार कुछ सैनिकों के शव पड़े हैं तो सेना के अधिकारी चौंक पड़े।
फिर सामने आई कुमायूँ रेजिमेंट के चार्ली कंपनी के योद्धाओं की वो कहानी जिसे सुनकर लोगों की रूह काँप गई। वीर अहीरों की वो शौर्य गाथा जो शायद ही भारत के इतिहास में कभी पहले कही गई हो। फिर शुरू हुई खोजबीन चार्ली कंपनी के लड़ाकों की। सौभाग्य से 2-3 लोग जो ज़िंदा बच गए थे उन्होंने बताया, क्या हुआ था उन 4-5 घंटों में, जब 124 लोगों ने अपने हौसलों के बल पर 2000 चीनियों का शिकार किया था।
Please note: This audiobook is in Hindi.
©2023 Manish Kumar (P)2024 Audible Singapore Private Limited