चपला अपनी ऐय्यारी का हुनर दिखाते हुए चुनारगढ़ के कारागार से तेज़ सिंह को छुड़ा लेती है। क्रोधित और अपमानित शिवदत्त एलान करता है कि विजगढ़ की राजकुमारी चन्द्रकांता से विवाह और दहेज में चपला लेकर रहेगा अन्यथा वो विजयगढ़ पे आक्रमण करके ज़बरदस्ती सब कुछ हासिल करेगा। शिवदत्त की चिट्ठी लेकर पंडित जगन्नाथ विजयगढ़ पहुँचते तो हैं मगर राजा जय सिंह क्रोधित होकर युद्ध की चुनौती स्वीकार कर लेते हैं। तेज़ सिंह उन्हें भरोसा दिलाते हैं, नवगढ़ की सेना युद्ध में उनका साथ देगी।
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