जहाँ एक ओर यक्ष की पत्नी, यक्ष की प्रतीक्षा में अपनी पलकें बिछाए बैठी हुई है, वहीं दूसरी ओर यक्ष, मेघ को प्रसन्न करने के प्रयास में लगा हुआ है। वह कैसे भी करके अपनी पत्नी को अपना सन्देश देना चाहता था, जिससे उसकी पत्नी की चिन्ता समाप्त हो सके और यक्ष का कुशलक्षेम पहुँच सके। मेघ की स्तुति करने के पश्चात यक्ष, मेघ को अपना दूत बना लेता है और सन्देश भेजने के लिए सबसे पहले मेघ को अलकापुरी तक जाने का और अपना घर ढूँढ़ने का मार्ग बताता है। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices